Thursday, April 26, 2012

JAI RAJPUTANA

राजपूतों की वंशावली "दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण, चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण." अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है। सूर्य वंश की दस शाखायें:- १. कछवाह२. राठौड ३. बडगूजर४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत ७.गौर ८.गहलबार ९.रेकबार १०.जुनने चन्द्र वंश की दस शाखायें:- १.जादौन२.भाटी३.तोमर४.चन्देल५.छोंकर६.होंड७.पुण्डीर८.कटैरिया९.स्वांगवंश १०.वैस अग्निवंश की चार शाखायें:- १.चौहान२.सोलंकी३.परिहार ४.पमार. ऋषिवंश की बारह शाखायें:- १.सेंगर२.दीक्षित३.दायमा४.गौतम५.अनवार (राजा जनक के वंशज)६.विसेन७.करछुल८.हय९.अबकू तबकू १०.कठोक्स ११.द्लेला १२.बुन्देला चौहान वंश की चौबीस शाखायें:- १.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा ४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा ७.मेलवाल८.भदौरिया ९.निर्वाण १०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा १३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसेरिया १६.बालेछा १७.रूसिया १८.चांदा१९.निकूम २०.भावर २१.छछेरिया २२.उजवानिया २३.देवडा २४.बनकर. क्षत्रिय जातियो की सूची क्रमांक नाम गोत्र वंश स्थान और जिला १. सूर्यवंशी भारद्वाज सूर्य बुलन्दशहर आगरा मेरठ अलीगढ २. गहलोत बैजवापेण सूर्य मथुरा कानपुर और पूर्वी जिले ३. सिसोदिया बैजवापेड सूर्य महाराणा उदयपुर स्टेट ४. कछवाहा मानव सूर्य महाराजा जयपुर और ग्वालियर राज्य ५. राठोड कश्यप सूर्य जोधपुर बीकानेर और पूर्व और मालवा ६. सोमवंशी अत्रय चन्द प्रतापगढ और जिला हरदोई ७. यदुवंशी अत्रय चन्द राजकरौली राजपूताने में ८. भाटी अत्रय जादौन महारजा जैसलमेर राजपूताना ९. जाडेचा अत्रय यदुवंशी महाराजा कच्छ भुज १०. जादवा अत्रय जादौन शाखा अवा. कोटला ऊमरगढ आगरा ११. तोमर व्याघ्र चन्द पाटन के राव तंवरघार जिला ग्वालियर १२. कटियार व्याघ्र तोंवर धरमपुर का राज और हरदोई १३. पालीवार व्याघ्र तोंवर गोरखपुर १४. परिहार कौशल्य अग्नि इतिहास में जानना चाहिये १५. तखी कौशल्य परिहार पंजाब कांगडा जालंधर जम्मू में १६. पंवार वशिष्ठ अग्नि मालवा मेवाड धौलपुर पूर्व मे बलिया १७. सोलंकी भारद्वाज अग्नि राजपूताना मालवा सोरों जिला एटा १८. चौहान वत्स अग्नि राजपूताना पूर्व और सर्वत्र १९. हाडा वत्स चौहान कोटा बूंदी और हाडौती देश २०. खींची वत्स चौहान खींचीवाडा मालवा ग्वालियर २१. भदौरिया वत्स चौहान नौगंवां पारना आगरा इटावा गालियर २२. देवडा वत्स चौहान राजपूताना सिरोही राज २३. शम्भरी वत्स चौहान नीमराणा रानी का रायपुर पंजाब २४. बच्छगोत्री वत्स चौहान प्रतापगढ सुल्तानपुर २५. राजकुमार वत्स चौहान दियरा कुडवार फ़तेहपुर जिला २६. पवैया वत्स चौहान ग्वालियर २७. गौर,गौड भारद्वाज सूर्य शिवगढ रायबरेली कानपुर लखनऊ २८. वैस भारद्वाज चन्द्र उन्नाव रायबरेली मैनपुरी पूर्व में २९. गेहरवार कश्यप सूर्य माडा हरदोई उन्नाव बांदा पूर्व ३०. सेंगर गौतम ब्रह्मक्षत्रिय जगम्बनपुर भरेह इटावा जालौन ३१. कनपुरिया भारद्वाज ब्रह्मक्षत्रिय पूर्व में राजाअवध के जिलों में हैं ३२. बिसैन वत्स ब्रह्मक्षत्रिय गोरखपुर गोंडा प्रतापगढ में हैं ३३. निकुम्भ वशिष्ठ सूर्य गोरखपुर आजमगढ हरदोई जौनपुर ३४. सिरसेत भारद्वाज सूर्य गाजीपुर बस्ती गोरखपुर ३५. कटहरिया वशिष्ठ्याभारद्वाज, सूर्य बरेली बंदायूं मुरादाबाद शहाजहांपुर ३६. वाच्छिल अत्रयवच्छिल चन्द्र मथुरा बुलन्दशहर शाहजहांपुर ३७. बढगूजर वशिष्ठ सूर्य अनूपशहर एटा अलीगढ मैनपुरी मुरादाबाद हिसार गुडगांव जयपुर ३८. झाला मरीच कश्यप चन्द्र धागधरा मेवाड झालावाड कोटा ३९. गौतम गौतम ब्रह्मक्षत्रिय राजा अर्गल फ़तेहपुर ४०. रैकवार भारद्वाज सूर्य बहरायच सीतापुर बाराबंकी ४१. करचुल हैहय कृष्णात्रेय चन्द्र बलिया फ़ैजाबाद अवध ४२. चन्देल चान्द्रायन चन्द्रवंशी गिद्धौर कानपुर फ़र्रुखाबाद बुन्देलखंड पंजाब गुजरात ४३. जनवार कौशल्य सोलंकी शाखा बलरामपुर अवध के जिलों में ४४. बहरेलिया भारद्वाज वैस की गोद सिसोदिया रायबरेली बाराबंकी ४५. दीत्तत कश्यप सूर्यवंश की शाखा उन्नाव बस्ती प्रतापगढ जौनपुर रायबरेली बांदा ४६. सिलार शौनिक चन्द्र सूरत राजपूतानी ४७. सिकरवार भारद्वाज बढगूजर ग्वालियर आगरा और उत्तरप्रदेश में ४८. सुरवार गर्ग सूर्य कठियावाड में ४९. सुर्वैया वशिष्ठ यदुवंश काठियावाड ५०. मोरी ब्रह्मगौतम सूर्य मथुरा आगरा धौलपुर ५१. टांक (तत्तक) शौनिक नागवंश मैनपुरी और पंजाब ५२. गुप्त गार्ग्य चन्द्र अब इस वंश का पता नही है ५३. कौशिक कौशिक चन्द्र बलिया आजमगढ गोरखपुर ५४. भृगुवंशी भार्गव चन्द्र वनारस बलिया आजमगढ गोरखपुर ५५. गर्गवंशी गर्ग ब्रह्मक्षत्रिय नृसिंहपुर सुल्तानपुर ५६. पडियारिया, देवल,सांकृतसाम ब्रह्मक्षत्रिय राजपूताना ५७. ननवग कौशल्य चन्द्र जौनपुर जिला ५८. वनाफ़र पाराशर,कश्यप चन्द्र बुन्देलखन्ड बांदा वनारस ५९. जैसवार कश्यप यदुवंशी मिर्जापुर एटा मैनपुरी ६०. चौलवंश भारद्वाज सूर्य दक्षिण मद्रास तमिलनाडु कर्नाटक में ६१. निमवंशी कश्यप सूर्य संयुक्त प्रांत ६२. वैनवंशी वैन्य सोमवंशी मिर्जापुर ६३. दाहिमा गार्गेय ब्रह्मक्षत्रिय काठियावाड राजपूताना ६४. पुण्डीर कपिल ब्रह्मक्षत्रिय पंजाब गुजरात रींवा यू.पी. ६५. तुलवा आत्रेय चन्द्र राजाविजयनगर ६६. कटोच कश्यप भूमिवंश राजानादौन कोटकांगडा ६७. चावडा,पंवार,चोहान,वर्तमान कुमावत वशिष्ठ पंवार की शाखा मलवा रतलाम उज्जैन गुजरात मेवाड ६८. अहवन वशिष्ठ चावडा,कुमावत खेरी हरदोई सीतापुर बारांबंकी ६९. डौडिया वशिष्ठ पंवार शाखा बुलंदशहर मुरादाबाद बांदा मेवाड गल्वा पंजाब ७०. गोहिल बैजबापेण गहलोत शाखा काठियावाड ७१. बुन्देला कश्यप गहरवारशाखा बुन्देलखंड के रजवाडे ७२. काठी कश्यप गहरवारशाखा काठियावाड झांसी बांदा ७३. जोहिया पाराशर चन्द्र पंजाब देश मे ७४. गढावंशी कांवायन चन्द्र गढावाडी के लिंगपट्टम में ७५. मौखरी अत्रय चन्द्र प्राचीन राजवंश था ७६. लिच्छिवी कश्यप सूर्य प्राचीन राजवंश था ७७. बाकाटक विष्णुवर्धन सूर्य अब पता नहीं चलता है ७८. पाल कश्यप सूर्य यह वंश सम्पूर्ण भारत में बिखर गया है ७९. सैन अत्रय ब्रह्मक्षत्रिय यह वंश भी भारत में बिखर गया है ८०. कदम्ब मान्डग्य ब्रह्मक्षत्रिय दक्षिण महाराष्ट्र मे हैं ८१. पोलच भारद्वाज ब्रह्मक्षत्रिय दक्षिण में मराठा के पास में है ८२. बाणवंश कश्यप असुरवंश श्री लंका और दक्षिण भारत में,कैन्या जावा में ८३. काकुतीय भारद्वाज चन्द्र,प्राचीन सूर्य था अब पता नही मिलता है ८४. सुणग वंश भारद्वाज चन्द्र,पाचीन सूर्य था, अब पता नही मिलता है ८५. दहिया कश्यप राठौड शाखा मारवाड में जोधपुर ८६. जेठवा कश्यप हनुमानवंशी राजधूमली काठियावाड ८७. मोहिल वत्स चौहान शाखा महाराष्ट्र मे है ८८. बल्ला भारद्वाज सूर्य काठियावाड मे मिलते हैं ८९. डाबी वशिष्ठ यदुवंश राजस्थान ९०. खरवड वशिष्ठ यदुवंश मेवाड उदयपुर ९१. सुकेत भारद्वाज गौड की शाखा पंजाब में पहाडी राजा ९२. पांड्य अत्रय चन्द अब इस वंश का पता नहीं ९३. पठानिया पाराशर वनाफ़रशाखा पठानकोट राजा पंजाब ९४. बमटेला शांडल्य विसेन शाखा हरदोई फ़र्रुखाबाद ९५. बारहगैया वत्स चौहान गाजीपुर ९६. भैंसोलिया वत्स चौहान भैंसोल गाग सुल्तानपुर ९७. चन्दोसिया भारद्वाज वैस सुल्तानपुर ९८. चौपटखम्ब कश्यप ब्रह्मक्षत्रिय जौनपुर ९९. धाकरे भारद्वाज(भृगु) ब्रह्मक्षत्रिय आगरा मथुरा मैनपुरी इटावा हरदोई बुलन्दशहर १००. धन्वस्त यमदाग्नि ब्रह्मक्षत्रिय जौनपुर आजमगढ वनारस १०१. धेकाहा कश्यप पंवार की शाखा भोजपुर शाहाबाद १०२. दोबर(दोनवर) वत्स या कश्यप ब्रह्मक्षत्रिय गाजीपुर बलिया आजमगढ गोरखपुर १०३. हरद्वार भार्गव चन्द्र शाखा आजमगढ १०४. जायस कश्यप राठौड की शाखा रायबरेली मथुरा १०५. जरोलिया व्याघ्रपद चन्द्र बुलन्दशहर १०६. जसावत मानव्य कछवाह शाखा मथुरा आगरा १०७. जोतियाना(भुटियाना) मानव्य कश्यप,कछवाह शाखा मुजफ़्फ़रनगर मेरठ १०८. घोडेवाहा मानव्य कछवाह शाखा लुधियाना होशियारपुर जालन्धर १०९. कछनिया शान्डिल्य ब्रह्मक्षत्रिय अवध के जिलों में ११०. काकन भृगु ब्रह्मक्षत्रिय गाजीपुर आजमगढ १११. कासिब कश्यप कछवाह शाखा शाहजहांपुर ११२. किनवार कश्यप सेंगर की शाखा पूर्व बंगाल और बिहार में ११३. बरहिया गौतम सेंगर की शाखा पूर्व बंगाल और बिहार ११४. लौतमिया भारद्वाज बढगूजर शाखा बलिया गाजी पुर शाहाबाद ११५. मौनस मानव्य कछवाह शाखा मिर्जापुर प्रयाग जौनपुर ११६. नगबक मानव्य कछवाह शाखा जौनपुर आजमगढ मिर्जापुर ११७. पलवार व्याघ्र सोमवंशी शाखा आजमगढ फ़ैजाबाद गोरखपुर ११८. रायजादे पाराशर चन्द्र की शाखा पूर्व अवध में ११९. सिंहेल कश्यप सूर्य आजमगढ परगना मोहम्दाबाद १२०. तरकड कश्यप दीक्षित शाखा आगरा मथुरा १२१. तिसहिया कौशल्य परिहार इलाहाबाद परगना हंडिया १२२. तिरोता कश्यप तंवर की शाखा आरा शाहाबाद भोजपुर १२३. उदमतिया वत्स ब्रह्मक्षत्रिय आजमगढ गोरखपुर १२४. भाले वशिष्ठ पंवार अलीगढ १२५. भालेसुल्तान भारद्वाज वैस की शाखा रायबरेली लखनऊ उन्नाव १२६. जैवार व्याघ्र तंवर की शाखा दतिया झांसी बुन्देलखंड १२७. सरगैयां व्याघ्र सोमवंश हमीरपुर बुन्देलखण्ड १२८. किसनातिल अत्रय तोमरशाखा दतिया बुन्देलखंड १२९. टडैया भारद्वाज सोलंकीशाखा झांसी ललितपुर बुन्देलखंड १३०. खागर अत्रय यदुवंश शाखा जालौन हमीरपुर झांसी १३१. पिपरिया भारद्वाज गौडों की शाखा बुन्देलखंड १३२. सिरसवार अत्रय चन्द्र शाखा बुन्देलखंड १३३. खींचर वत्स चौहान शाखा फ़तेहपुर में असौंथड राज्य १३४. खाती कश्यप दीक्षित शाखा बुन्देलखंड,राजस्थान में कम संख्या होने के कारण इन्हे बढई गिना जाने लगा १३५. आहडिया बैजवापेण गहलोत आजमगढ १३६. उदावत बैजवापेण गहलोत आजमगढ १३७. उजैने वशिष्ठ पंवार आरा डुमरिया १३८. अमेठिया भारद्वाज गौड अमेठी लखनऊ सीतापुर १३९. दुर्गवंशी कश्यप दीक्षित राजा जौनपुर राजाबाजार १४०. बिलखरिया कश्यप दीक्षित प्रतापगढ उमरी राजा १४१. डोमरा कश्यप सूर्य कश्मीर राज्य और बलिया १४२. निर्वाण वत्स चौहान राजपूताना (राजस्थान) १४३. जाटू व्याघ्र तोमर राजस्थान,हिसार पंजाब १४४. नरौनी मानव्य कछवाहा बलिया आरा १४५. भनवग भारद्वाज कनपुरिया जौनपुर १४६. गिदवरिया वशिष्ठ पंवार बिहार मुंगेर भागलपुर १४७. रक्षेल कश्यप सूर्य रीवा राज्य में बघेलखंड १४८. कटारिया भारद्वाज सोलंकी झांसी मालवा बुन्देलखंड १४९. रजवार वत्स चौहान पूर्व मे बुन्देलखंड १५०. द्वार व्याघ्र तोमर जालौन झांसी हमीरपुर १५१. इन्दौरिया व्याघ्र तोमर आगरा मथुरा बुलन्दशहर १५२. छोकर अत्रय यदुवंश अलीगढ मथुरा बुलन्दशहर १५३. जांगडा वत्स चौहान बुलन्दशहर पूर्व में झांसी :)))))
<अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावडो ले भाग्यो | नान्हो सो अमरयो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुःख जाग्यो || हूँ लड़यो घणो हूँ सहयो घणो मेवाडी मान बचावण नै , हूँ पाछ नहीं राखी रण में बेरयां रो खून बहावण में , जद याद करूँ हल्दी घाटी नैणा में रगत उतर आवै , सुख दुःख रो साथी चेतकडो सूती सी हूक जगा ज्यावै , पण आज बिलखतो देखूं हूं जद राज कंवर नै रोटी नै , तो क्षात्र - धर्म नै भूलूं हूं भूलूं हिंदवाणी चोटी नै महला में छप्पन भोग जका मनवार बिना करता कोनी, सोनै री थाल्याँ नीलम रै बाजोट बिना धरता कोनी , ऐ हाय जका करता पगल्या फूलां री कंवळी सेजां पर , बै आज रुले भूखा तिसिया हिंदवाणे सूरज रा टाबर , आ सोच हुई टूक तड़फ राणा री भीम बजर छाती , आँख्यां में आंसू भर बोल्या मै लिख स्यूं अकबर नै पाती, पण लिखूं कियां जद देखै है आडावल ऊँचो हियो लियां , चितौड़ खड्यो है मगरां में विकराल भूत सी लियां छियां , मै झुकूं कियां ? है आण मनै कुळ रा केशरियां बानां री , मै बुझुं कियां ? हूं सेस लपट आजादी रै परवानां री , पण फेर अमर री सुण बुसक्याँ राणा रो हिवडो भर आयो , मै मानूं हूं दिल्लीस तनै समराट सनेसो कैवायो | राणा रो कागद बांच हुयो अकबर रो सपनूं सो सांचो , पण नैण करयो बिसवास नहीं जद बांच बांच न फिर बांच्यो , कै आज हिमालो पिघळ बह्यो कै आज हुयो सूरज सितळ , कै आज सेस रो सिर डोल्यो आ सोच हुयो समराट विकळ, बस दूत इशारों पा भाज्या पीथळ नै तुरत बुलावण नै , किरणां रो पीथळ आ पुग्यो आ सांचो भरम मिटावण नै , बीं वीर बांकू डै पीथळ नै रजपूती गौरव भारी हो , बो क्षात्र धरम रो नेमी हो राणा रो प्रेम पुजारी हो , बैरयां रै मन रो काँटों हो बीकाणू पूत खरारो हो , राठौड़ रणा में रातो हो बस सागी तेज दुधारो हो , आ बात पातस्या जाणे हो घावां पर लूण लगावण नै , पीथळ नै तुरत बुलायो हो राणा री हार बंचावण नै , म्हे बाँध लियो है पीथळ सुण पिंजरे में जंगळी शेर पकड़ , आ देख हाथ रो कागद है तूं देखां फिरसी कियां अकड़ ? मर डूब चलू भर पाणी में बस झुन्ठा गाल बजावै हो , पण टूट गयो बीं राणा रो तूं भाट बण्यो बिडदावै हो , मै आज पातस्या धरती रो मेवाड़ी पाग पगां में है , अब बता मनै किण रजवट रै रजपूती खून रगां में है ? जद पीथळ कागद ले देखी राणा री सागी सैनाणी , निवै स्यूं धरती खसक गई आँख्यां में भर आयो पाणी , पण फेर कही ततकाल संभळ आ बात सफा ही झूंठी है , राणा री पाघ सदा ऊँची राणा री आण अटूटी है | ल्यो हुकुम हुवै तो लिख पूछूं राणा नै कागद रै खातर , लै पूछ भलांई पीथळ तूं आ बात सही है बोल्यो अकबर , म्हे आज सुणी है नाहरियो स्याला रै सागै सोवैलो , म्हे आज सुणी है सूरजडो बादळ री ओटा खोवैलो , म्हे आज सुणी है चातगडो धरती रो पाणी पिवैलो , म्हे आज सुणी है हाथीडो कूकर री जूणा जिवैलो , म्हे आज सुणी है थकां खसम अब रांड हुवैली रजपूती , म्हे आज सुणी है म्याना में तरवार रवैली अब सूती , तो म्हांरो हिवडो कांपै है मुछ्याँ री मोड़ मरोड़ गई , पीथळ नै राणा लिख भेजो आ बात कठे तक गिणा सही ? पीथळ रा आखर पढता ही राणा री आंख्यां लाल हुई , धिक्कार मनै हूं कायर हूं नाहर री एक दकाल हुई , हूं भूख मरूं हूं प्यास मरूं मेवाड़ धरा आजाद रवै , हूं घोर उजाडा में भटकूं पण मन में मां री याद रवै , हूं रजपूतण रो जायो हूं रजपूती करज चूकाऊँला, औ सीस पडे पण पाघ नहीं दिल्ली रो मान झुकाऊँला, पीथळ के खिमता बादळ री जो रोकै सूर उगाळी नै , सिंघा री हाथळ सह लेवै वा कूख मिली कद स्याळी नै ? धरती रो पाणी पिवै इसी चातक री चूंच बणी कोनी , कूकर री जूणा जिवै इसी हाथी री बात सुणी कोनी , आं हाथां में तरवार थकां कुण रांड कवै है रजपूती ? म्याना रै बदले बैरयां री छात्याँ में रैवै ली सूती , मेवाड़ धधकतो अंगारों आंध्यां में चमचम चमकैलो, कड़खै री उठती तानां पर पग पग खांडो खड्कैलो , राखो थे मुछ्याँ एठ्योड़ी लोही री नदी बहा दयूंला , हूं अथक लडूंला अकबर स्यूं उज्ड्यो मेवाड़ बसा दयूंला , जद राणा रो सन्देश गयो पीथळ री छाती दूणी ही , हिंदवाणों सूरज चमकै हो अकबर री दुनिया सूनी ही

Monday, April 23, 2012

MERI DHARATI MERE LOG...1

पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच शत्रुता एवं युद्ध:-

मोहम्मद गौरी की चित्ररेखा नामक एक दरबारी गायिका रूपवान एवं सुन्दर स्त्री थी। वह संगीत एवं गान विद्या में निपुण, वीणा वादक, मधुर भाषिणी और बत्तीस गुण लक्षण बहुत सुन्दर नारी थी। शाहबुदीन गौरी का एक कुटुम्बी भाई था ‘‘मीर हुसैन’’ वह शब्दभेदी बाण चलाने वाला, वचनों का पक्का और संगीत का प्रेमी तथा तलवार का धनी था। चित्ररेखा गौरी को बहुत प्रिय थी, किन्तु वह मीर हुसैन को अपना दिल दे चुकी थी और हुसैन भी उस पर मंत्र-मुग्ध था। इस कारण गौरी और हुसैन में अनबन हो गई। गौरी ने हुसैन को कहलवाया कि ‘‘चित्ररेखा तेरे लिये कालस्वरूप है, यदि तुम इससे अलग नहीं रहे तो इसके परिणाम भुगतने होंगें।’’ इसका हुसैन पर कोई प्रभाव नहीं हुआ और वह अनवरत चित्ररेखा से मिलता रहा। इस पर गौरी क्रोधित हुआ और हुसैन को कहलवाया कि वह अपनी जीवन चाहता है तो यह देश छोड़ कर चला जाए, अन्यथा उसे मार दिया जाएगा। इस बात पर हुसैन ने अपी स्त्री, पुत्र आदि एवं चित्ररेखा के साथ अफगानिस्तान को त्यागकर पृथ्वीराज की शरण ली, उस समय पृथ्वीराज नागौर में थे। शरणागत का हाथ पकड़कर सहारा और सुरक्षा देकर पृथ्वी पर धर्म-ध्वजा फहराना हर क्षत्रिय का धर्म होता है। इधर मोहम्मद गौरी ने अपने शिपह-सालार आरिफ खां को मीर हुसैन को मनाकर वापस स्वदेश लाने के लिए भेजा, किन्तु हुसैन ने आरिफ को स्वदेश लौटने से मना कर दिया। इस प्रकार पृथ्वीराज द्वारा मीर हुसैन को शरण दिये जाने के कारण मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज के बीच दुश्मनी हो गई।
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच 18 बार युद्ध हुआ, जिसमें पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को 17 बार परास्त किया। जब-जब भी मोहम्मद गौरी परास्त होता, उससे पृथ्वीराज द्वारा दण्ड-स्वरूप हाथी, घोड़े लेकर छोड़ दिया जाता । मोहम्मद गौरी द्वारा 15वीं बार किये गए हमले में पृथ्वीराज की ओर से पजवनराय कछवाहा लड़े थे तथा उनकी विजय हुई। गौरी ने दण्ड स्वरूप 1000 घोड़ और 15 हाथी देकर अपनी जान बचाई। कैदखाने में पृथ्वीराज ने गौरी को कहा कि ‘‘आप बादशाह कहलाते हैं और बार-बार प्रोढ़ा की भांति मान-मर्दन करवाकर घर लौटते हो। आपने कुरान शरीफ और करीम के कर्म को भी छोड़ दिया है, किन्तु हम अपने क्षात्र धर्म के अनुसार प्रतिज्ञा का पालन करने को प्रतिबद्ध हैं। आपने कछवाहों के सामने रणक्षेत्र में मुंह मोड़कर नीचा देखा है।’’ इस प्रकार पृथ्वीराज चौहान ने उदारवादी विचारधारा का परिचय देते हुए गौरी को 17 बार क्षमादान दिया। चंद्रवरदाई कवि पृथ्वीराज के यश का बखान करते हुए कहते हैं कि ‘‘हिन्दु धर्म और उसकी परम्परा कितनी उदार है।’’
18वीं बार मोहम्मद गौरी ने और अधिक सैन्य बल के साथ पृथ्वीराज चौहान के राज्य पर हमला किया, तब पृथ्वीराज ने संयोगिता से विवाह किया ही था, इसलिए अधिकतर समय वे संयोगिता के साथ महलों में ही गुजारते थे। उस समय पृथ्वीराज को गौरी की अधिक सशक्त सैन्य शक्ति का अंदाज नहीं था, उन्होंने सोचा पहले कितने ही युद्धों में गौरी को मुंह की खानी पड़ी है, इसलिए इस बार भी उनकी सेना गौरी से मुकाबला कर विजयश्री हासिल कर लेगी। परन्तु गौरी की अपार सैन्य शक्ति एवं पृथ्वीराज की अदूरदर्शिता के कारण गौरी की सेना ने पृथ्वीराज के अधिकतर सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और कई सैनिकों को जख्मी कर दिल्ली महल पर अपना कब्जा जमा कर पृथ्वीराज को बंदी बना दिया। गौरी द्वारा पृथ्वीराज को बंदी बनाकर अफगानिस्तान ले जाया गया और उनके साथ घोर अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया गया। गौरी ने यातनास्वरूप पृथ्वीराज की आँखे निकलवा ली और ढ़ाई मन वजनी लोहे की बेड़ियों में जकड़कर एक घायल शेर की भांति कैद में डलवा दिया। इसके परिणाम स्वरूप दिल्ली में मुस्लिम शासन की स्थापना हुई और हजारों क्षत्राणियों ने पृथ्वीराज की रानियों के साथ अपनी मान-मर्यादा की रक्षा हेतु चितारोहण कर अपने प्राण त्याग दिये।
इधर पृथ्वीराज का राजकवि चन्द बरदाई पृथ्वीराज से मिलने के लिए काबुल पहुंचा। वहां पर कैद खाने में पृथ्वीराज की दयनीय हालत देखकर चंद्रवरदाई के हृदय को गहरा आघात लगा और उसने गौरी से बदला लेने की योजना बनाई। चंद्रवरदाई ने गौरी को बताया कि हमारे राजा एक प्रतापी सम्राट हैं और इन्हें शब्दभेदी बाण (आवाज की दिशा में लक्ष्य को भेदनाद्ध चलाने में पारंगत हैं, यदि आप चाहें तो इनके शब्दभेदी बाण से लोहे के सात तवे बेधने का प्रदर्शन आप स्वयं भी देख सकते हैं। इस पर गौरी तैयार हो गया और उसके राज्य में सभी प्रमुख ओहदेदारों को इस कार्यक्रम को देखने हेतु आमंत्रित किया। पृथ्वीराज और चंद्रवरदाई ने पहले ही इस पूरे कार्यक्रम की गुप्त मंत्रणा कर ली थी कि उन्हें क्या करना है। निश्चित तिथि को दरबार लगा और गौरी एक ऊंचे स्थान पर अपने मंत्रियों के साथ बैठ गया। चंद्रवरदाई के निर्देशानुसार लोहे के सात बड़े-बड़े तवे निश्चित दिशा और दूरी पर लगवाए गए। चूँकि पृथ्वीराज की आँखे निकाल दी गई थी और वे अंधे थे, अतः उनको कैद एवं बेड़ियों से आजाद कर बैठने के निश्चित स्थान पर लाया गया और उनके हाथों में धनुष बाण थमाया गया। इसके बाद चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज के वीर गाथाओं का गुणगान करते हुए बिरूदावली गाई तथा गौरी के बैठने के स्थान को इस प्रकार चिन्हित कर पृथ्वीराज को अवगत करवाया:-
‘‘चार बांस, चैबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, चूके मत चौहान।।’’

अर्थात् चार बांस, चैबीस गज और आठ अंगुल जितनी दूरी के ऊपर सुल्तान बैठा है, इसलिए चौहान चूकना नहीं, अपने लक्ष्य को हासिल करो।
इस संदेश से पृथ्वीराज को गौरी की वास्तविक स्थिति का आंकलन हो गया। तब चंद्रवरदाई ने गौरी से कहा कि पृथ्वीराज आपके बंदी हैं, इसलिए आप इन्हें आदेश दें, तब ही यह आपकी आज्ञा प्राप्त कर अपने शब्द भेदी बाण का प्रदर्शन करेंगे। इस पर ज्यों ही गौरी ने पृथ्वीराज को प्रदर्शन की आज्ञा का आदेश दिया, पृथ्वीराज को गौरी की दिशा मालूम हो गई और उन्होंने तुरन्त बिना एक पल की भी देरी किये अपने एक ही बाण से गौरी को मार गिराया। गौरी उपर्युक्त कथित ऊंचाई से नीचे गिरा और उसके प्राण पंखेरू उड़ गए। चारों और भगदड़ और हा-हाकार मच गया, इस बीच पृथ्वीराज और चंद्रवरदाई ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एक-दूसरे को कटार मार कर अपने प्राण त्याग दिये। आज भी पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई की समाधी काबुल में विद्यमान हैं। इस प्रकार भारत के अन्तिम हिन्दू प्रतापी सम्राट का 1192 में अन्त हो गया और हिन्दुस्तान में मुस्लिम साम्राज्य की नींव पड़ी।

Tuesday, April 10, 2012

HINDI HUN MAIN WATAN HIDUSTAN MERA...

हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा है और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जानेवाली भाषा है। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। हिंदी भाषा हमारी राष्ट्रीयता और सम्मान का प्रतीक है। हिंदी और बिंदी तो हमारी पहचान है ।

अटल बिहारी वाजपयी वे पहले भारतीय थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ (1977) में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था। (अटल बिहारी वाजपयी 1977 में विदेश मंत्री थे)ये वो एक यादगार लम्हा था जो इतिहास में हमेशा याद रखा जायेगा |

हम अपनी “हिंदी” भाषा को उचित स्थान नहीं देते हैं अपितु अंग्रेजी जैसी भाषा का प्रयोग करने में गर्व महसूस करते हैं ।कोरिया का उदहारण ले तो वह बिना इंग्लिश को अपनाए हुए ही विकसित हुए हैं और हम समझते हैं की इंग्लिश के बिना आगे नहीं बढा जा सकता।

हिन्दी प्रेमियों, चीन, रूस, फ्रांस, इसराइल, जर्मनी, कोरीया जापान और इन जैसे कई अन्य देशों को देखें जिन्होने अपनी मातृभाषा के दम पर विकास किया है| इन देशों के लोग अँग्रेज़ी बोलने मे शर्म करते हैं और अपनी मातृभाषा को ज़्यादा महत्व देते हैं|

*हिन्दी के प्रभाव और क्षमता को अब विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी सलाम कर रही है। विश्व में मोबाइल की सबसे बड़ी कंपनी नोकिया ने हाल ही लन्दन में अपने तीन नए मॉडल बाजार में उतारे। आपको ये जानकर खुशी होगी कि इन तीनो मॉडल्स को कंपनी ने हिन्दी का नाम दिया है।

*जुरासिक पार्क जैसी अति प्रसिध्द हॉलीवुड फ़िल्म को भी अधिक मुनाफ़े के लिए हिंदी में डब किया जाना जरूरी हो गया । इसके हिंदी संस्करण ने भारत में इतने पैसे कमाए जितने अंग्रेजी संस्करण ने पूरे विश्व में नहीं कमाए थे ।

*अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 114 मिलियन डॉलर की एक विशेष राशि अमरीका में हिंदी, चीनी और अरबी भाषाएं सीखाने के लिए स्वीकृत की है । इससे स्पष्ट होता है कि हिंदी के महत्व को विश्व में कितनी गंभीरता से अनुभव किया जा रहा है ।

*हॉलीवुड ने पहचानी हिन्दी की ताकत – बहुचर्चित मशहूर ओर कामयाबी का नया इतिहास रचने वाली चलचित्र ( फ़िल्म) को दिया वैश्विक हिन्दी नाम 'अवतार' । अवतार शब्द का अर्थ यह है कि पृथ्वी में आना।हॉलीवुड की मशहूर फ़िल्म "अवतार" दुनिया की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली चलचित्र बन गई है ।

हिन्दी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अब ट्विटर हिन्दी में भी अपनी सेवा शुरू करने जा रही है ।ट्विटर बहुत ही तेजी से इंटरनेट पर लोकप्रिय हो रही माइक्रोब्लॉगिंग नेटवर्किंग सेवा है। सामाजिक मेलजोल की लोकप्रिय साइट ‘ट्विटर’ के भारतीय प्रशंसकों के लिए एक खुशखबरी।

क्या हमें अँग्रेजी की गुलामी छोडकर हिन्दी को महत्व नहीं देना चाहिए ?"भारत की सिर्फ़ सात प्रतिशत जनसंख्या अँग्रेजी बोलती है हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा"जागो भारतीय जागो !! जय हिन्द, जय भारत !

to Youth

भारत देश के युवा दलीय आधार तर विभाजित हो कर अपने अस्तित्व को खाने मत दे, क्या हम किसी दल या पार्टी के गुलाम है जो उसके नारे लगायेँगे और पत्थरबाजी करेँगे? हमेँ छोङना होगा ये सब, एकजुट होना होगा हमेँ, इस देश के सारे राजनितिक पार्टी भ्रष्ट है. जिनका मकसद होता है सिर्फ हमेँ लूटना, हमारा उपयोग करके कुर्सी पाना ये राजनेता किसी के नहीँ है, कुर्सी के लिए अपनी माँ को भी बेच देगे, फिर आप कैसै भरोषा करते है इनपर. हम इस देश के सबसे बडी शक्ती हैँ, अगर हम संगठित होकर एकबार सिर्फ एकबार सडक पर उतर जायेँगे तो देश की दशा और दिशा दोनो बदल सकते है, आजादी की लडाई मेँ भी देश के युवाऔँ ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया था, जयप्राकाश आन्दोलन को भी युवाऔँ ने ही गति दिया था,फिर हम क्यूँ भूल जाए अपनी शक्तियाँ? हम फिर सडक पर उतरेँगे लेकिन किसी नेता या पार्टी के लिए नहीँ बल्की भारत माँ के लिए, हाथोँ मे किसी दल का झंडा नही बल्की तिरागा होगा. हमे एक आजादी की जंग लडनी होगी और यही जंग भारत को सियासत के दलालो से आजाद करने के लिए होगी.